Shayari on Waqt | सिखाया वक्त ने जीना बिना तब प्यार के जग में।
सिखाया वक्त ने जीना बिना तब प्यार के जग में
( Sikhaya Waqt Ne Jina Bina Tab Pyar Ke Jag Mein )
सिखाया वक्त ने जीना बिना तब प्यार के जग में।
लगी जब चोट इस दिल पे बिना हथियार के जग में।।
कोई जब दिल को भा जाता बहुत यादें सताती है।
नहीं फिर चैन मिलता है बिना दीदार के जग में।।
कमी महसूस होती है जहां में हर कदम उस की।
नहीं आसां सफर होता बिना इक यार के जग में।।
अकेले हम भी जी लेते समझ में बात फिर आई।
बशर दुख झेलता देखा बिना परिवार के जग में।।
हिफाजत भी वही करते चमन में यूं गुलाबों की।
कहां खिलते हैं बोलों गुल बिना उस ख़ार के जग मे।
सहारा है वही सबका वहम तूं छौङ दे सारे।
कहां पत्ता भी हिलता है बिना करतार के जग में।।
ग़ज़ल आती नहीं है सीखे बिन उस्ताद शायर के।
किनारे लगती कब नैया बिना पतवार के जग में।।
कवि व शायर: मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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