Srinivas N Hindi Poetry

श्रीनिवास यन की कविताएं | Srinivas N Hindi Poetry

बुदापा

जीवन में बुदापा बुरी दशा है
वैसे बचपन सुंदर लगता है
किशोर दशा अचंचल होता है
बुदापा एक कठिन अवस्था है
जिंदा में यह अंतिम दशा है

बुदापा में कष्ट अनेक हैं
वे दूसरों पर निर्भर पड़ते हैं
और स्वस्थ भी बिगड़ जाते हैं
उनकी शक्ति कम होती हैं
बुढ़ापा कठिन दशा है

पैसे कमाना मुश्किल हैं
इसे जीवन पोषण दुर्लभ हैं
वे अकेले जीवन बिताते हैं
क्लेश को बाँटने में कोई नहीं हैं
बुदापा में सावधान होना है

धन की दौलत

जीवन बिताने के धन चाहिए
धन कमाने के बुध्दि चाहिए
सत्यता से धन कमाना चाहिए
धन का महत्व जानना चाहिए
जिंदगी में धन अनिवार्य है श्रीनिवास!

मेहनत का संपदा अच्छा है
संपदा से जीवन बदलता है
जीवन में धन मूल्यवान है
धन से जीवन सुख बनता है
धन कमाने के यत्न करो श्रीनिवास!

धोखे से धन पाना अच्छा नहीं
चोरी से धन पाना अच्छा नहीं
झूठे से धन पाना अच्छा नहीं
मूर्ख से धन पाना अच्छा नहीं
धन के प्रति सावधान होना है श्रीनिवास!

हिंदी हमारी

हिंदी हमारी
सब की प्यारी
सीख जरूरी
बने नौकरी
हिंदी की भाषा श्रीनिवास!

सरल भाषा
मधुर भाषा
सुबोध भाषा
सुंदर भाषा
हमारी हिंदी श्रीनिवास!

हिंदी से मिला
एकता भला
गौरव मिला
हम को भला
बढ़िया भाषा श्रीनिवास!

देश की शान
हम को मान
सब का प्राण
हिंदी का ज्ञान
गर्व की भाषा श्रीनिवास!

जन की भाषा
देश की भाषा
प्राचीन भाषा
प्रेम की भाषा
सांस की भाषा श्रीनिवास!

प्यारी की हिंदी
माथे की बिंदी
न्यारी की हिंदी
देश की हिंदी
श्रेष्ठ हिंदी श्रीनिवास!

स्वाभिमान है
अभिमान है
अखंडता है
अविभाज्य है
हिंदी से मिला श्रीनिवास!

हिंदी

हिंदी भाषा मधुर,सुबोध है
कई भाषाओं के शब्द मिलते हैं
यह भाषा महान,अविभाज्य है
हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है
देश में अधिक लोग बोलते श्रीनिवास!

एकता के सूत्र मे बांधती है
आपस मे मित्रता बढ़ती है
बोलने,समझनेवाले अधिक हैं
इससे रोजगार प्राप्त होता है
हिंदी जोड़नेवाला भाषा है श्रीनिवास!

देश विशाल पुष्प वन देश है
भाषाएँ रंग-बिरंगे फूल हैं
हिंदी में प्राचीन साहित्य है
यह संस्कृत गर्भित भाषा है
हिंदी देश की राजभाषा श्रीनिवास!

प्रयास

मानव निरंतर कार्यशील है
जीत के लिए प्रयास करता है
परीक्षा में पास होना चाहता है
उज्वल भविष्य भी अभिलाषा है
सफलता केलिए प्रयत्न करो श्रीनिवास!

नौकरी केलिए प्रयास करो
गीत गाने केलिए भी करो
अभिनय के लिए कोशिश करो
कला सीखने का यत्न करो
ये सब प्रयत्न से संभव होते श्रीनिवास!

ज्ञान केलिए प्रयास करो
अपना लक्ष्य को प्राप्त करो
आगे बढ़ने का प्रयत्न् करो
अपना कर्तव्य पालन करो
ढूढ संकल्प से प्रयत्न करो श्रीनिवास!

पर्वत चढ़ने का प्रयास करो
मंजिल पहुंचने का यत्न करो
स्वीय वृद्धि केलिए प्रयास करो
तुम निरंतर परिश्रम करो
सारी जिंदगी कोशिश करना श्रीनिवास !

मातृभूमि

हम भूमि पर खड़े होते हैं
इसे कई सुविधाएं पाते हैं
सुविधाएं पाकर खुश होते हैं
खुश से जीवन स्वस्थ होते हैं
भूमि से कई फायदा होते हैं श्रीनिवास!

हम भूमि को आभार करते हैं
क्योंकि मिट्टी में पौधा फूटते हैं
वे बड़े होकर सुंदर होते हैं
इसे प्रकृति हरा भरा होते हैं
भूमि पर कूड़ा मत डालना है श्रीनिवास!

माँ बच्चों का जन्म देती है
वैसे पालन पोषण करती है
वैसे भूमि में खनिज मिलता है
खनिज से भूमि अमूल्य होता है
क्योंकि भूमि माता के समान हैं श्रीनिवास!

पर्यावरण

पेड़ पौधों का देखबाल करो,
धर्ती पर प्रदूूषण दूर करो,
जन्मभूमि का संरक्षण करो,
जीव जंतुओ की सुरक्षा करो,
प्रकृति-पर्यावरन रक्षा करो श्रीनिवास!

पेड़ पौधों से वर्षा होता है
बीज अंकुरित होता है
इनसे हरियाली बढ़ती है
पर्यावरण शुद्ध होता है
इनका रक्षा करना चाहिए श्रीनिवास!

पेड़ के अनेक नाम होते हैं
इनसे कई फायदे होते हैं
वे बड़े और छोटे भी होते हैं
इनसे आक्सीजन मिलता है
पेड़ पौधों की रक्षा करो श्रीनिवास!

कुछ पेड़ सुगंध से भरे होते
वे नित्य हरा भरा रहते
वे पथिक को छाया देते
लोग पेड़ों को पूजा करते
पेड़ पौधों को रोपणा चाहिए श्रीनिवास!

फूलों से माला बनाते हैं
पत्तों से कई उपयोग होते है
लकड़ी से कई चीजें बनती है
जड़ों से कई दवाये बनते हैं
पेड़ परोपकारी है श्रीनिवास!

वृक्षों को अधिक लगावो,
स्वच्छ प्राणवायु को पावो,
धरती को हरा भरा बनावो,
कुदरत,मनोरंजन को पावो,
विश्व वन महोत्सव मनावो।

कफ़न

चेहरे पर मुस्कराहट का
कफ़न ओढ़कर चलते हैं
हताशा और निराशा को चलो आज
मन के संदूक में ताला लगाकर बंद करते हैं
सपने क्या हैं ?
पानी का बुलबुला
इन पानी के बुलबुलों को
आज मिट्टी में दफन करते हैं
हताशा और निराशा को चलो आज
मन के संदूक में
ताला लगाकर बंद करते हैं
कफ़न हो
सफेद मोतियों सा
मिट जायें जिसमें
सांसारिकता के सारे भेदों का
घनघोर अंधेरा
जीवन के इस रंगमंच को
ह्दय के भाव अभिनय और कला के द्वारा अभिव्यक्त करतें हैं
हताशा और निराशा को आज
मन के संदूक में
ताला लगाकर बंद करतें हैं
चेहरे पर मुस्कराहट का
कफ़न ओढ़कर चलते हैं
हताशा और निराशा को
मन के संदूक में आज ताला लगाकर बंद करतें हैं
चेहरे पर कफ़न
मुस्कुराहट का ओढ़कर चलतें हैं …
कफ़न ओढ़कर चलतें हैं
मुस्कुराहट का…

गुमसुम जब दिल तड़पे

प्रकृति को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

पर्वत को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

नदियाँ को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

झरना को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

मित्रों को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

प्रेमिका को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

ईश्वर को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

इंद्रधनुश को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

पत्नी को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

हवा को देखने केलिए
मेरा दिल तड़पे हैं ।

अपमान

संघ की सेवा करता नहीं है
सेवा के लिए आशक्ति नहीं है
जिंदा में श्रेष्ठ बनता नही है
और गौरव से जीवित नही है
इसे तुम अपमानित होता है श्रीनिवास!

सच्चाई से बोलना नहीं तो
आत्मबल से जीना नही तो
विश्वास से रहना नही तो
भ्रष्टाचार को दूर नही तो
इससे अपमान बढ़ते हैं श्रीनिवास !

समाज की बुराई करना
दूसरों से धोखा देना
गुरु से झूठ बोलना
मित्रों से मजाक उड़ाना
ये सब से अपमान होते हैं श्रीनिवास!

धिक्कार है तुम पर

संघ की सेवा करता नहीं है
सेवा के लिए आशक्ति नहीं है
जिंदा में श्रेष्ठ बनता नही है
और गौरव से जीवित नही है
इसे तुम अपमानित होता है श्रीनिवास!

सच्चाई से बोलना नहीं तो
आत्मबल से जीना नही तो
विश्वास से रहना नही तो
भ्रष्टाचार को दूर नही तो
इससे अपमान बढ़ते हैं श्रीनिवास !

समाज की बुराई करना
दूसरों से धोखा देना
गुरु से झूठ बोलना
मित्रों से मजाक उड़ाना
ये सब से अपमान होते हैं श्रीनिवास!

गणेश

गणेश आया
खुश हो गया
आशीश दिया
विघ्न हटाया
भक्तों की इच्छा श्रीनिवास!

लंबे पेट है
बड़े कान है
मुख खूब है
सिर हाथी है
गणेश रूप श्रीनिवास!

क्लेश मिटाता
मोक्ष प्रधाता
विद्या विधाता
पुण्य का दाता
भक्तों का प्यार श्रीनिवास!

श्रीनिवास यन
आँध्रप्रदेश

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लम्बोदर | पंचाक्षरी पंचपदी

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