सुभाष चंद्र बोस ने कहा था ( कविता )
सुभाष चंद्र बोस ने कहा था ( कविता )
‘नेता जी’ निज हिन्द सैना से,
जोश मे भर यूं कहे खङे।
सबक सिखाना है दुश्मन को
फैसले लेगे आज कङे ।।
‘जयहिंद’ बोल के समर-भूमि मे,
कदम मिलाते चलो बढे।
ऐसा जोश जिगर मे भर लो,
दस-दस के संग एक लङे ।।
नामो-निशां मिटाके रख दो,
ऐसी खूनी जंग छिङे ।
सात समुन्दर पार वो कांपे ,
क्यूं हम हिन्द पे आए चढे ।।
ना खून दिए आजादी मिलती,
मरते दम तक रहो भिङे।
सर ना कभी ये झुकने पाए,
बेशक धङ से अलग पङे ।।
अमर आत्मा है सदा ये,
अन्त और आदि ना होगी।
आन-बान और शान पे मिट,
देह की बर्बादी ना होगी।।
मार-काट की घर-घर मे,
जब तलक मुनादी ना होगी।
“कुमार”भारत के भाग्य में,
तब तक आजादी ना होगी।।
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