Surdas par kavita
Surdas par kavita

सर्वश्रेष्ठ कवि सूरदास

( Sarvshreshth Kavi Surdas )

 

ता-उम्र श्री कृष्ण भक्ति में किया आपने व्यतीत,
हिन्दी-साहित्य में सूर्य उपाधि से हुऐ है प्रसिद्ध।
सूरसागर सूर सारावली साहित्य लहरी ये रचित,
महाकवि सूरदास से हुए आप बहुत ही प्रसिद्ध।‌।

मदनमोहन था बचपनें में कभी आपका ये नाम,
सूरदास उपाधि देकर बढ़ाया है गुरुदेव ने मान।
महाप्रभु वल्लभचार्य के सबसे नेक शिष्य आप,
वात्सल्य भाव के श्रेष्ठ कवि ऐसी आपकी शान।।

हिंदी काव्य में लिखी रचनाऍं व पद सवा-लाख,
निर्धन पिता पं. रामदास और माता जमुनादास।
ब्रजभूमि पर ब्रज भाषा में रचा आपने इतिहास,
नदी किनारें बैठकर पद लिखते थें यह सूरदास।।

आगरा के रुनकता या फिर सीही में हुआ जन्म,
गायन गाते लिखते सुनाते दोहे पदों को हरदम।
नही थें नैन फिर भी लिखते करते सजीव वर्णन,
श्री कृष्ण लीला और श्रृंगार रचनाओं में है दम‌।।

बिना देखें ही लिख दिया वास्तविकता की छवि,
इसी लिए इनको कहते वात्सल्य सर्वश्रेष्ठ कवि।
१६ ग्रंथ लिखें इन्होंने श्रीकृष्ण भक्ति के रस पर,
इस-दृष्टि से सूरदास को कहा जाता है ये कवि।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

 

 

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