इस कदर वो याद आती हर घड़ी है
इस कदर वो याद आती हर घड़ी है इस कदर वो याद आती हर घड़ी है ! पाने की आज़म उसी की ही लगी है भूल पाना ही उसे मुश्किल हुआ अब वो जुदा ऐसी मुझसे सूरत हुई है प्यार जिसके लहजे में था ही नहीं जो एक सूरत जीस्त में…
इस कदर वो याद आती हर घड़ी है इस कदर वो याद आती हर घड़ी है ! पाने की आज़म उसी की ही लगी है भूल पाना ही उसे मुश्किल हुआ अब वो जुदा ऐसी मुझसे सूरत हुई है प्यार जिसके लहजे में था ही नहीं जो एक सूरत जीस्त में…
दिल हुआ है दीवाना इक आज मुखड़ा देखकर दिल हुआ है दीवाना इक आज मुखड़ा देखकर! रोज़ आहें दिल मेरे अब उसको भरता देखकर प्यार का दिल पे असर मेरे हुआ ऐसा यारों दिल कहीं भी अब नहीं उसको लगता देखकर के जैसे मेरे लिये रब ने बनाया है तुम्हें दिल…
नज़र का तीर जब उनका जिग़र के पार होता है नज़र का तीर जब उनका जिग़र के पार होता है। नहीं तब होश रहता है सभी सुख-चैन खोता है।। सहे तकलीफ जो पहले है पाते चैन आख़िर में। जो पहले ऐश करता है सदा आख़िर में रोता है।। वही मिलता उसे…
हाँ व़क्त कटता तेरे इंतजार में हाँ व़क्त कटता तेरे इंतजार में! तू लौट आ दिल मेरा बेक़रार में इस बार आऊंगा मैं मिलनें को तुझे छुटटी है दोस्त मेरी इतवार में वो तल्ख़ बात करता रोज़ है़ मगर लहज़ा नहीं उल्फ़त का मेरे यार में ख़ुशबू कैसे महकेगी प्यार…
शहर में कोई अपना रहबर नहीं दें सहारा मुझे वो मिला घर नहीं शहर में कोई अपना रहबर नहीं कर लिया प्यार का फ़ूल उसनें क़बूल आज उन हाथों में देखो पत्थर नहीं क़त्ल कर देता मैं उस दग़ाबाज का हाथ में मेरे ही वरना ख़ंजर नहीं हर तरफ़ नफ़रतों…
ये है कैसी मजबूरी है ये है कैसी मजबूरी है! मिलना पर उससे दूरी है बात अधूरी है उल्फ़त की न मिली उसकी मंजूरी है जाम पिया उल्फ़त का उसके हाथों में अब अंगूरी है टूटी डोर मुहब्बत की ही न मिली उसकी मंजूरी है भौरा क्या बैठे फूलों…
ग़म के मारों को खबर क्या दिल्लगी क्या चीज है ग़म के मारों को खबर क्या दिल्लगी क्या चीज है। लोग जिंदा-दिल समझ पाये हँसी क्या चीज है।। दिल मिला हो जिससे गहरा उससे दूरी फिर कहां। दिल लगाकर हमने जाना आशिकी क्या चीज है।। इक नशा सा छा रहा है दिल…
जीस्त में कब मेरी ख़ुशी आयी जीस्त में कब मेरी ख़ुशी आयी! दर्द ग़म की आंधी चली आयी दौर आया ऐसा जीवन में ही रोज़ ही आंखों में नमी आयी नफ़रतों का ही दौर आया है जीस्त में प्यार की कमी आयी लें गयी है बहा के सब खुशियां जीस्त…
दिल जब ग़म से पूर हुआ है दिल जब ग़म से पूर हुआ है। हिम्मत से भरपूर हुआ है।। आग से ग़म की जो भी गुजरा। कुंदन जैसा नूर हुआ है।। ग़म को जो वरदान समझता। यश फैला मशहूर हुआ है।। फैला जीवन में उजियारा। तम सारा फिर दूर हुआ है।।…
हमेशा ही मुहब्बत से वो सारे काम लेते है हमेशा ही मुहब्बत से वो सारे काम लेते है। मिटाने को सभी झगड़े वो सर इल्ज़ाम लेते है।। रहे न्यारे ज़माने से खुदा ही आसरा अपना। सहारे छौङ के सारे उसी का नाम लेते है।। सदा मस्ती चढी रहती उसी की याद…