थोड़ा उदास हूँ
थोड़ा उदास हूँ पिछले कई दिनों से मन थोड़ा #उदास रहने लगा है समझ नहीं आ रहा कि क्या करें हम एक ही बात बार-बार #मन में हर बार आ रही है कि हर बार मेरे ही साथ ऐसा क्यूँ होता है..? उन्हीं की बातों को #दिल से लगाकर विचारों की #मथनी चलती…
थोड़ा उदास हूँ पिछले कई दिनों से मन थोड़ा #उदास रहने लगा है समझ नहीं आ रहा कि क्या करें हम एक ही बात बार-बार #मन में हर बार आ रही है कि हर बार मेरे ही साथ ऐसा क्यूँ होता है..? उन्हीं की बातों को #दिल से लगाकर विचारों की #मथनी चलती…
गुलो-गुलजार करती है दिलों को सार की बातें गुलो-गुलजार करती है दिलों को सार की बातें। जुबां से फूल झरने दो करो बस प्यार की बातें।। दिलों को बांटते हैं जो रहे वो दूर ही हमसे। पङी इक ओर रहने दो सभी तकरार की बातें।। मुसलमां है न हिंदू है करे …
शायद हम बच्चे हो गए शायद हम बच्चे हो गए शायद अब हम बच्चे हो गए क्यूंकि अब बच्चे बड़े हो गए…. अब न सुबह जल्दी उठने की हड़बड़ी….. न जल्दी खाना बनाने की फरमाइशें…. न बजट की खींचातानी न कल की चिंता….. न तर्क करता कोई न…
गुडडू के नाम पत्र मेरा और तुम्हारा साथ करीब 2 वर्ष पुराना है। मुझे याद है जब तुम पहली रात को मुझे मिली थी। तुम पहली नजर में ही मुझे पसंद आ गयी थी। यद्यपि तुम संवेदनशील और आत्मनिर्भर हो; नवम्बर तो तुम झेल जाती हो परंतु दिसम्बर की हाड़ कंपा देने वाली ठंड में…
दोस्त वीरान ये जिंदगी है अभी दोस्त वीरान ये जिंदगी है अभी दूर मेरे ही दिल से ख़ुशी है अभी जोड़ा उससे नहीं दोस्ती का रिश्ता वो मेरे ही लिये अजनबी है अभी भूलने की कोशिश कर ली उसकी बहुत दिल में उसके लिये बेकली है अभी देख लिया प्यार…
प्रियवर मेरे तन मन प्रान महान प्रियवर। प्रात:सांध्य विहान सुजान प्रियवर।। इस असत रत सृष्टि में तुम सत्य हो, नित नवीन अनवरत पर प्राच्य हो, मेरे अंतस में तुम्हारा भान प्रियवर।।प्रात:० ललित वीणा तार तुमसे है सुझंकृत, ये षोडस श्रृंगार तुमसे है अलंकृत, प्रेयसी का मान स्वाभिमान प्रियवर।।प्रात:० प्रणयिका बन चरण…
उसने किया नहीं रिश्ता क़बूल है उसने किया नहीं रिश्ता क़बूल है! ये जुल्म भी किया उसका क़बूल है पर कर गया धोखा वादे के नाम पे उसका किया था जो वादा क़बूल है उसको तो सिर्फ़ आता नफ़रत का लहज़ा कब प्यार का किया लहज़ा क़बूल है इंकार करना…
खूबसूरत है बोलने का ही उसे लहज़ा नहीं खूबसूरत है बोलने का ही उसे लहज़ा नहीं! सच कहूँ मैं प्यार से ही पेश वो आता नहीं सोचकर करना है ये इजहार दिल से प्यार तू प्यार का आसान देखो ये इतना रस्ता नहीं प्यार से देखें हमेशा के लिये मुझको वही…
मेरी साँसों मे तेरी महक सी है मेरी साँसों मे तेरी महक सी है आँख खोलूं तो तेरी चमक सी है जब हाथ लग जाये कोई शाख पर लगता है इसमें भी तेरी लचक सी है गिर कर झड़ना जब जमीं पर टूट जाये इसको भी हो रही कोई कसक सी…
दिल अपना ग़रीब है ख़ुशी से दिल अपना ग़रीब है कब दिल अपना खुशनसीब है गिला क्या करुं ग़ैर से भला यहां तो अपना ही रकीब है किसे मैं हाले दिल सुनाऊँ अब नहीं कोई भी अपना हबीब है तन्हा हूँ नगर में बहुत यहां नहीं कोई मेरे करीब है…