उनकी तस्वीर को हमें गले से लगाना था
उनकी तस्वीर को हमें गले से लगाना था उनकी तस्वीर को हमें गले से लगाना था बाकी सब तो फ़क़त इसीका बहाना था मुहब्बत यूँ भी तो बड़ा अजब है यारा के खुद से रूठकर दुसरो को मनाना था हम पर फ़ज़ा-ए-उल्फत की नज़र ऐसी है जान के लिए बाज़ी जान का…