चाहे काँटे मिले या कि फूल
चाहे काँटे मिले या कि फूल चाहे काँटे मिले या कि फूल मुस्कुरा के तू कर ले क़ुबूल झूट को सच कहा ही नहीं अपने तो कुछ हैं ऐसे उसूल हाल ऐसा हुआ हिज्र में जर्द आँखें है चेहरा मलूल आस फूलों की है किसलिए बोये हैं आपने जब बबूल …
चाहे काँटे मिले या कि फूल चाहे काँटे मिले या कि फूल मुस्कुरा के तू कर ले क़ुबूल झूट को सच कहा ही नहीं अपने तो कुछ हैं ऐसे उसूल हाल ऐसा हुआ हिज्र में जर्द आँखें है चेहरा मलूल आस फूलों की है किसलिए बोये हैं आपने जब बबूल …
ग़म में ही ऐसा बिखरा हूँ ग़म में ही ऐसा बिखरा हूँ ! अंदर से इतना टूटा हूँ दिल से उसका मेरे भुला रब यादों में जिसकी रोता हूँ नफ़रत उगली है उसने ही जब भी कुछ उससे बोला हूँ ग़ैर हुआ वो चेहरा मुझसे उल्फ़त जिससें मैं करता हूँ…
है जुबां पे सभी के कहानी अलग है जुबां पे सभी के कहानी अलग। फितरते है अलग जिंदगानी अलग।। कौन माने किसी की कही बात को। खून में है सभी के रवानी अलग।। मानता खुद को कमतर ना कोई यहां। जोश से है भरी हर जवानी अलग।। लाभ की चाह …
ये घर की शान है! चैन से जीने दो ये घर की शान है! प्यार दो दो इज्जत बेटी पहचान है। हक नहीं है किसी को भी जा लेने की दी ख़ुदा ये इसको भी देखो जान है। कोई दे या न दे क़ातिलों को स़जा लेगा बदला उसका इक दिन…
है कहां वो प्यार तेरे गांव में ! है कहां वो प्यार तेरे गांव में ! प्यार है जो दोस्त मेरे गांव में खेलते थे हम जहां कंचे देखो है पड़े पीपल का मेरे गांव में तू नहीं आया मिलनें मुझको कभी आ गये हम दोस्त तेरे गांव में बाग़…
जिंदगी तूं हमें कमज़ोर न कर छोड़ जिद जाने की अब जोर न कर। जिंदगी तूं हमें कमजोर न कर।। जाग जायेंगे क्या क्या बोलेंगे, अरी पायल तूं इतना शोर न कर।। कौन रह जायेगा इस दुनिया में हादसे इस कदर हर ओर न कर।। जब सभी लोग बुरा कहते…
हो दोस्ती की बारिशें तन्हाई कटती नहीं हो दोस्ती की बारिशें हो ख़ुदा अब ऐसी मुझपे आशिक़ी की बारिशें प्यार से कोई निभाये दोस्ती का रिश्ता ये मत हो मुझपे ये कभी भी बेदिली की बारिशें प्यार की बातें हमेशा हो किसी से गांव में हो नहीं मुझपे कभी नाराज़गी की…
तुम भा गए हो हमको कसम से तुम भा गए हो हमको कसम से। तुम्हे चुरा ले कोई ना हम से।। बनके तसव्वुर से हौले-हौले। दिल में बसे हो आकर के छम से।। कितना पुराना है अपना नाता। मिलते रहे हो जन्मो जन्म से।। है जगमगाता तेरा ये मुखङा। हो चांद…
फूल खिलते है मेरे गांव में! फूल खिलते है मेरे गांव में! नफ़रतों की शहर में तेरे बू है छाओं में खेला करते थे कंचे सब नीम का था इक पड़े जो गांव में शहर में तो है शरारे नफ़रत के प्यार की ही है बहारें गांव में गंदगी देखी है…
जो सच है सो सच है जो सच है सो सच है, अनदेखा क्यों करें हम सदा की तरह भीड़ का ही पीछा क्यों करें हम जिन्हे रहती नहीं हमारी कोई खबर उनको बार बार यूँ देखा क्यों करें हम कोई अहल-ए-वफ़ा पर कुछ कहता क्यों नहीं इसी बात पर हर…