Ghazal | सर उठाना तो सदा बेबसी से बेहतर है
सर उठाना तो सदा बेबसी से बेहतर है ( Sar Uthana To Sada Bebasi Se Behtar Hai ) सर उठाना तो सदा बेबसी से बेहतर है सर-कशी कैसी भी हो ख़ुद-कुशी से बेहतर है हुस्न सजने से , संवरने से दबा जाता है क्या कोई रंग तेरी सादगी से बेहतर है उसकी…