Ek Maa Ki Bebasi

एक मां की बेबसी | Kavita

एक मां की बेबसी ( Ek Maa Ki Bebasi ) विकल्प नहीं है कोई देखो विमला कितना रोई सुबककर दुबककर देख न ले कोई सुन न ले कोई उसकी पीड़ा अनंत है समाज बना साधु संत है जानकर समझकर भी सब शांत हैं किया कुकृत्य है शोहदों ने जिनके बाप बैठे बड़े ओहदों पे सुधि…

हमारी बेवकूफियां

हमारी बेवकूफियां | Kavita

हमारी बेवकूफियां ( Hamari Bewakoofiyaan )   सचमुच कितने मूर्ख हैं हम बन बेवकूफ हंसते हैं हम झांसा में झट आ जाते हैं नुकसान खुद का ही पहुंचाते हैं सर्वनाश देख पछताते हैं पहले आगाह करने वाले का ही मज़ाक हम उड़ाते हैं न जाने क्या क्या नाम उन्हें दे आते हैं शर्मिंदा हो आंख…

मीन और मीना की जिंदगी : एक जैसी

Kavita | मीन और मीना की जिंदगी : एक जैसी

मीन और मीना की जिंदगी : एक जैसी ( Meen Aur Meena Ki  Jindagi : Ek Jaisi ) *********** जल की रानी कह लोग- जल से खींच लेते हैं, हाय कितने निर्दयी ये होते हैं? कभी गरमागरम तेल में करते फ्राई, या फिर धूप में करते ड्राई! खाते पसंद से , तनिक न सोचते, एक…

कविता

Kavita | कविता क्या है

कविता क्या है  ( Kavita Kya Hai )   आज कविता दिवस है इसका नहीं था मुझे ध्यान मेरे मित्र ने याद करा कर मुझे कराया अभिज्ञान   कविता क्या है कुछ कविता के बारे में लिखो केवल  चार  पंक्तियां ही नहीं कुछ और लिखो   मैंने   भी   सोचा   पहले   कवि  है  या  कविता  है…

विश्व कविता दिवस पर

Vishv Kavita Diwas Par Kavita | विश्व कविता दिवस पर

विश्व कविता दिवस पर ( Vishv Kavita Diwas Par ) कविता प्रकृति पदार्थ और पुरुषार्थ दिखाती कविता, जीव को ब्रह्म से आकर के मिलाती कविता।।   शस्त्र सारे जब निष्फल हो जाया करते, युद्ध में आकर तलवार चलाती कविता।।   पतझड़ों  से  दबा  जीवन  जब क्रंदन करता, हमारे घर में बन बसंत खिल जाती कविता।।…

सुदामा

सुदामा | Kavita

सुदामा ( Sudama )   त्रिभुवनपति के दृगन में जल छा गया है। क्या कहा ! मेरा सुदामा आ गया है।। अवन्तिका उज्जयिनी शिप्रा महाकालेश्वर की माया, काशी वासी गुरु संदीपन ने यहां गुरुकुल बनाया। मथुरा से श्रीकृष्ण दाऊ प्रभास से सुदामा आये, गुरु संदीपन विद्यावारिधि को सकल विद्या पढ़ाये।। शास्त्र पारंगत विशारद पवित्रात्मा आ…

प्यार 

Kavita | प्यार

प्यार  ( Pyar ) बड़ा-छोटा काला-गोरा मोटा-पतला अमीर-गरीब हर किसी को हो सकता है-किसी से प्यार , यह ना माने सरहदें, ना देखे दरो-दीवार, हसीं-बदसूरत,बुढ़ा-जवान,तंदरूस्त-बीमार, यहाँ सबके लिए खुले हैं – प्यार के किवार । मैं नहीं तुम नहीं आप नहीं हम नहीं एक है बंदा-संग लिए बैठा रिश्ते हज़ार, सिर्फ़ दिल की सुनो जब…

थप्पड़

Kavita | थप्पड़

थप्पड़ ( Thappad ) *** उसने मां को नहीं मारा मार दिया जहान को अपनी ही पहचान को जीवन देने वाली निशान को। जान उसी की ले ली, लिए गोद जिसे रोटियां थी बेली। निकला कपूत, सारे जग ने देखा सुबूत। हो रही है थू थू, कितना कमीना निकला रे तू? चुकाया न कर्ज दूध…

भोलेनाथ

Kavita | भोलेनाथ

भोलेनाथ ( Bholenath ) ****** हो नाथों के नाथ हो अनाथों के नाथ दीनों के नाथ हो हीनों के नाथ। बसे तू कैलाश, बुझाते सबकी प्यास। चराचर सब हैं तेरे संग, रहे सदा तू मलंग । चलें खग पशु प्रेत सुर असुर तेरे संग, देख देवी देवता किन्नर हैं दंग। है कैसा यह मस्त मलंग?…

अपना बचपन

Kavita | अपना बचपन

अपना बचपन ( Apna Bachpan )   बेटी का मुख देख सजल लोचन हो आए, रंग बिरंगा बचपन नयनों में तिर जाए । भोर सुहानी मां की डांट से आंखे मलती, शाम सुहानी पिता के स्नेह से है ढलती। सोते जागते नयनों में स्वप्निल सपने थे, भाई बहन दादा दादी संग सब अपने थे। फ्राक…