त्रिभुवनपति के दृगन में जल छा गया है।
क्या कहा ! मेरा सुदामा आ गया है।।
अवन्तिका उज्जयिनी शिप्रा महाकालेश्वर की माया,
काशी वासी गुरु संदीपन ने यहां गुरुकुल बनाया।
मथुरा से श्रीकृष्ण दाऊ प्रभास से सुदामा आये,
गुरु संदीपन विद्यावारिधि को सकल विद्या पढ़ाये।।
शास्त्र पारंगत विशारद पवित्रात्मा आ गया है।।
क्या कहा!०
एक दिन की बात गुरुकुल में ही कुछ चोर आये,
एक वृद्धा के द्वारा अभिशापित चावल साथ लाये।
पर छिपा करके उसे अन्यत्र कहीं चले गये थे
ऊषा बेला में गुरु मां को वो चावल मिल गये थे।।
वही चावल खाने वाला विशुद्धात्मा आ गया है।।
क्या कहा!०
उस चावल का भोगकर्ता दीन अतिनिर्धन होजाये,
इसी कारण से सुदामा मुझसे थे चावल छिपाये।
जो हमारे हित में निज श्री हीनता अपनायेगा,
वो भला क्या चोरी से चावल के कण खा पायेगा।।
आज मेरे महल में वही महात्मा आ गया है।।
क्या कहा!०।
बदन थर थर अश्रु झर-झर नंगे पग सुखधाम दौड़ै,
स्वर्ण मुक्ता मणि सिंहासन छोड़कर श्रीधाम दौड़े।
हे सुदामा! हे सुदामा! सुदामा अभिराम दौड़ै,
लटपटाते छटपटाते योगेश्वर निष्काम दौड़ै।।
कण्ठ स्तंभित नैन में गहन घन घहरा गया है।।
क्या कहा!०
द्वार पर देखा ! न पाया रक्त कण चमके हुये है,
पृथ्वी ! क्या ये सुदामा के पांव से टपके हुये हैं।
करूण क्रंदन देख कर पृथ्वी बहुत घबरा गयी,
रूद्र मरूत त्रिदेव आये शक्तियां सब आ गयी।
देखकर यह प्रेम प्रभु का सूर्य भी रुक सा गया है।।
क्या कहा!०
वह सुदामा जा रहा है दौड़ कर घनश्याम पकड़े,
प्रेम सरिता बह चली आलिंगन में हैं दोनो जकड़े।
कहां थे मेरे हृदय तुम किस तरह जीवन बिताये,
इतने दुःख सहते रहे पर मित्र से मिलने न आये।।
मेरे किस अपराध बस इतनी निष्ठुरता पा गया है।।
क्या कहा!०
कहा थे प्रियवर सुदामा विह्वल हो श्रीधाम रोये,
चक्षुजल अविरल बहाकर दोनों पग ब्रजधाम धोये।
अपने आसन पर बिठा चरणों में निज आसन लगाये
दीप पूजन और प्रतिष्ठा शास्त्रोचित विधि से कराये।।
द्वारिका नगरी में कैसा ये प्रेमात्मा आ गया है।।
क्या कहा!०
जिस सिंहासन के लिए देवादि मन ललचाते हैं,
उसका सुख देखो सुदामा प्रेम के वस पाते है।
सुवसन स्वादिष्ट भोजन हाथ पांव प्रभू दबाये,
दे दिया दो लोक जब दो मुटठी चावल केशव खाये।।
दो सखाओं का मिलन यह ‘शेष’के मन भा गया है।।
We use cookies to ensure that we give you the best experience on our website. If you continue to use this site we will assume that you are happy with it.Ok