चुनाव क्यों न टले

Kavita Neta Ji | चुनाव क्यों न टले नेता जी कहें

चुनाव क्यों न टले : नेता जी कहें ( Chunav Kyon Na Tale : Neta JI Kahen )   एक महीने का भाग दौड़, पांच साल मौज ही मौज। लूटो कूटो जनता पर टूटो, दाना दुनका कभी कभार छींटों। चढ़ें हवाई जहाज ठहरें होटल ताज है अपना तो राज ही राज! गाड़ियों की है लंबी…

Wah re zindagi

Kavita | वाह रे जिन्दगी

वाह रे जिन्दगी ( Wah re zindagi )   भरोसा तेरा एक पल का नही, और नखरे है, मौत से ज्यादा।   जितना मैं चाहता, उतना ही दूर तू जाता, लम्हां लम्हां खत्म होकर तू खडा मुस्कुराता। वाह रे जिन्दगी…. भरोसा तेरा एक पल का नही, और नखरे हैं मौत से ज्यादा। बाँध कर सांसों…

गुनाह

Kavita | गुनाह

गुनाह ( Gunaah )   सद्भावों की पावन गंगा सबके   मन  को भाए वाणी के तीखे बाणों से कोई घायल ना हो जाए   प्रेम के मोती रहा लुटाता खता   यही    संसार  में कदम बढ़ाता फूंक फूंक कर कहीं  गुनाह  ना  हो जाए   कोई अपना रूठ ना जाए रिश्तो   के   बाजार   में घूम…

दबे हुए अरमान

Kavita | दबे हुए अरमान

दबे हुए अरमान ( Dabe hue armaan )   हर बार देख कर तुमकों क्यों,अरमान मचल जाते है। तब  भाव  मेरे  आँखों  मे आ, जज्बात मचल जाते है।   मन  कितना भी बाँधू लेकिन, मनभाव उभर जाते है, दिल की धडकन बढ जाती है,एहसास मचल जाते है।   क्या ये मेरा पागलपन है, या तेरे…

दुनिया

Kavita | दुनिया

दुनिया ( Duniya )   रात  मे  चाँद को , जिसने  चमकना  सिखाया । सूरज की किरणों को ,आलोक फैलाना बताया ।। ग्रीष्म ,वर्षा ,शीत ,बसंत ,होती अजीब घटनाएं है । वंदन  है  प्रभु ! उन्हें , जिसने  ये दुनिया बनाया ।। उफनती  नदियों  को , जिसने  बहना  सिखाया । गहरी  काली  झीलो  को ,…

चंद्रवार का गृहकार्य

Kavita Chandrawar | चंद्रवार का गृहकार्य

चंद्रवार का गृहकार्य ( एक विलोमपदी )   टेक धन लोलुप भेड़ियों के झुंड में प्रजातंत्र, अकेली भेड़ सा घिर गया है। आदर्शवाद की टेक पर, चलते – चलते, कटे पेड़ सा गिर गया है। मुट्ठी भर सत्पुरुष लजा- लजा कर सिर धुन रहे हैं, और अनगिनत कापुरुष राजा, नित नया जाल बुन रहे हैं।…

बच्चों की हिन्दी लिखावट

hindi poem on child | बच्चों की हिन्दी लिखावट

बच्चों की हिन्दी लिखावट ( Bacchon ki hindi likhawat )   देख टूट रही है आशा, छा रही मन में निराशा। दशा व दिशा, सुन उनके मन की व्यथा; कहूं क्या मैं कथा? देख सुन हैरान हूं, परेशान हूं। लकीरें चिंता की खिंच आई हैं, लाकर काॅपी जो उसने दिखाई है। माथा पकड़ लिया हूं,…

समझदार हुए बच्चे:हम कच्चे के कच्चे

Hindi poem on child | समझदार हुए बच्चे:हम कच्चे के कच्चे

समझदार हुए बच्चे:हम कच्चे के कच्चे ( Samajhdar Hue Bache : Hum kache ke Kache )   वह खेल रहा था खेले ही जा रहा था सांप हिरण शेर हाथी और जिब्रा से बिना डरे बिना थके बिना रूके कभी उनके लिए घर बनाता तो कभी छत पर चढ़ाता कभी झूला झुलाता कभी गिराता उठाता…

डोर

डोर | hindi poem on life

डोर ( Dor ) रंग बिरंगी पतंग सरीखी, उड़ना चाहूं मैं आकाश। डोर प्रिये तुम थामे रखना, जग पर नहीं है अब विश्वास।।   समय कठिन चहुं ओर अंधेरा, घात लगाए बैठा बाज़। दिनकर दिया दिखाये फिर भी, खुलता नहीं निशा का राज।।   रंगे सियार सरीखे ओढ़े, चम चम चमके मैली चादर। पा जायें…

सीख दे गई

सीख दे गई | Kavita Seekh

सीख दे गई (Seekh De Gayi ) सूखी टहनी उड़ आई मेरे पास थी उसे कुछ कहनी बोली मुझे न काटा कर जरूरत भर मांग लिया कर मैं खुशी खुशी दे दूंगी नहीं हूं बहरी गूंगी सुनती हूं सब कुछ देखती हूं तेरे व्यवहार सहकर तेरे अत्याचार भी कुछ कहती नहीं इसका क्या मतलब दोगे…