समांं महका दो आज

समांं महका दो आज | Chhand

समांं महका दो आज (  मनहरण घनाक्षरी छंद )   गीतों का सजाओ साज समां महका दो आज झड़ी बरसाओ ऐसी धूम होनी चाहिए   खूब गाओ छंद गीत मुक्त कंठ नव गीत रस बरसे प्रेम का भाव होना चाहिए   शौर्य पर लिखो गीत योद्धा जंग जाए जीत हिम्मत हौसला मिले ओज होना चाहिए…

मीठी वाणी मीठी बोली

मीठी वाणी मीठी बोली | Kavita

मीठी वाणी मीठी बोली ( Mithi vani mithi boli )   एक सैलानी मुझसे बोला क्या करते हो गदेना, गुठियार में ऐसा क्या है यार तेरे गढ़वाल में। मुस्कुराते हुए मैंने कहा मीठी वाणी मिट्ठी पाणी है मेरे गढ़वाल में। हिमालय का चौखंबा बसा है मेरे पहाड़ में 52 गढ़ है मेरे गढ़वाल में। मां…

गर है लिखने का शौक

गर है लिखने का शौक | Kavita

गर है लिखने का शौक ( Gar hai likhne ka shauq )   गर है लिखने का शौक तो कविता चुपचाप चली आती है। टूटे-फूटे शब्दों में भी भावनाएं निकल जाती है। हम तो मिश्रित भाषी हैं कभी हिंदी कभी सिंधी कभी पंजाबी कभी गुजराती निकल जाती है। भाषा के झरोखों से दिल की ऋतु…

किसी जादू टोने का ही असर है

किसी जादू टोने का ही असर है | Ghazal

किसी जादू टोने का ही असर है ( Kisi Jadoo tone ka asar hai )   किसी जादू टोने का ही असर है! परेशां इसलिए जीवन मगर है   बहुत भेजे उसके कासीद घर को नहीं आयी कोई उसकी ख़बर है   नजर आया नहीं मुझको कहीं भी उसी को ढूंढ़ती मेरी नजर है  …

कौन हूँ मैं?

कौन हूँ मैं | Kavita

कौन हूँ मैं? ( Kaun hoon main kavita )   सहमी सहमी कमजोर नहीं हूं भीगी भीगी ओस नहीं हूं आसमान पर उड़ने वाली चंचल चितवन चकोर नहीं हूँ   कोमल कच्ची डोर नहीं हूं अनदेखी से उड़ने वाली शबनम सम छोटी बूँदों जैसी खुशबू भीनी हिलौर नहीं हूं   कुछ जुमलों से डर जाउंगी…

नैना बावरे ढूंढे मीत पुराना

नैना बावरे ढूंढे मीत पुराना | Kavita

नैना बावरे ढूंढे मीत पुराना ( Naina bawre dhoondhe meet purana )   नैना बावरे ढूंढे मीत पुराना पल-पल ढूंढे बीता सावन ढूंढे बीती रतिया नैना बावरे ढूंढे मीत पुराना ?☘️? जिन बगिया में फूल खिले थे जिनमें बीते सावन जिस घर में था संग तुम्हारा ढूंढे वोही आँगना नैना बावरे ढूंढे मीत पुराना ?☘️?…

Jab pyar ka

जब प्यार का गाया मैंने राग है | Ghazal

जब प्यार का गाया मैंने राग है  ( Jab pyar ka gaya maine raag hai )   जब  प्यार  का  गाया  मैंनें  राग़  है देखो भी खिल उठा फ़ूलों का बाग़ है   की  नाम  से  तेरे  तू  देखले  सनम उल्फ़त का जल रहा दिल में चराग़ है   वो चोट दें गया दिल पे…

Main hun paryavaran

पर्यावरण देता हिदायत || Kavita

पर्यावरण देता हिदायत ( Paryavaran deta hidayat )   मैं  पर्यावरण हूं,  तुम सब का आवरण हूं। रख लोगे गर मुझे सुरक्षित , हो जाओगे तुम भी सुरक्षित। मैं करू सहन अब  कितना? होता न सहन अब इतना। तुम मानव की गलती पर , मैं कुढ़ कुढ़ रोता हूं। मेरी एक ही गलती पर,  देखो…

तुम्हारे संतान सदैव सुखी रहें

तुम्हारे संतान सदैव सुखी रहें | Lambi Kavita

तुम्हारे संतान सदैव सुखी रहें ( Tumhare santan sadaib sukhi rahe )   सभ्यता और संस्कृति के समन्वित सड़क पर निकल पड़ा हूँ शोध के लिए झाड़ियों से छिल गयी है देह थक गये हैं पाँव कुछ पहाड़ों को पार कर सफर में ठहरी है आत्मा बोध के लिए बरगद के नीचे बैठा कोई बूढ़ा…

प्रेम में डूबी स्त्री

प्रेम में डूबी स्त्री | Kavita

प्रेम में डूबी स्त्री ( Prem me dubi stree )   प्रेम में डूबी किसी स्त्री को कभी कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि तुम कितने पढ़े लिखे हो या फिर अनपढ़, तुम दिन के दो सौ रूपए कमाते हो या दो हज़ार, तुम सबसे सुंदर दिखते हो या बदसूरत !… बस, उसे तो फ़र्क सिर्फ़…