टूटे दिल की पीर
( Toote dil ki peer )
टूटे दिल की पीर भला अब कौन जाने।
कौन सुनेगा फरियाद दर्द भरे अफसाने।
कौन जाने हाल उन बुड्ढे मां और बाप के।
आने लगे औलाद को जूते अब नाप के।
कौन सुनेगा किसको सुनाएं दर्द दबाए बैठे हैं।
कौन जाने अश्कों के मोती हम छुपाए बैठे हैं।
कौन जाने हालत क्या हो गई अब गांव की।
शहर सब चले गए रही सूनी हवेली नाम की।
कौन जाने टूटते रिश्तों की उस पीर को।
इक दूजे के दर्द को मनुज की तकदीर को।
हम तो अपना रस्ता देखे आपको पहचाने कौन।
मतलब से ही आप हमारे फिर लगे बेगाने कौन।
कब किस्मत करवट बदले यहां कौन जाने।
क्या लिखा है भाग्य में रेखाएं कौन पहचाने।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )