तुम कहो तो | Tum Kaho to
तुम कहो तो
( Tum kaho to )
तुम कहो तो
कुछ न कहूँ
लब सी लूँ,
अल्फाज़ खामोंश कर दूँ
समझ सको तो
समझ लेना
मेरी खामोशियों को
बर्फ सी जमी
मेरी जुबां को
पढ़ लेना
आँखों से बहती
मेरी दास्तां को
अश्कों से तर
हर्फों को जरा
हाथों की गरमी से
सुखा लोगे तो
तुम जान जाओगे
कि कितना
तड़पे हैे हम
तुम ‘गर
जान लोगे
न बोलती सी
‘मैं’ को
.
.
.
तो
मान लेंगे हम
तुम भी हो
उसी मुकाम पर
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )