तुम तो | Tum to

तुम तो

( Tum to )

 

कौन सा काम
कब करना है
यही तो फ़ैसला
नहीं होता तुम से
यही तुम्हारी
उलझन का सबब है
और कमज़ोरी भी

नाँच रही हैं आज बहारें
महकी हुई हैं सभी दिशाएँ
हंसने का मौसम है
और तुम तो
रोने बैठ गई हो

बादल घिरे हैं
बारिश का मौसम है
और तुम तो
कपड़े धोने बैठ गई हो

इम्तिहाँ सर पे हैं
किताबें मेज़ पर रख कर
और तुम तो
महबूब को ख़त लिखने बैठ गई हो

रेल गाड़ी को चलने में
सिर्फ़ दो मिन्ट ही शेष हैं
सिंगनल होने वाला है
और तुम तो
खाना खाने बैठ गई हो

नींद में हैं
चाँद सितारे
ढल चुकी है रात भी काफ़ी
और तुम तो
उन को अपना हाल सुनाने बैठ गई हो

जंगल पतझड़ के मौसम से
निढाल है
चारों तरफ़ सन्नाटा है
और तुम तो
उन के आगे
मुहब्बत के नग़मे
गाने बैठ गई हो

पंछी भी घर लौटे
सूरज डूब गया
शाम हुई
और तुम तो
अपने बाल सुखाने बैठ गई हो

बादल छट गये
सावन की रुत बीत गई
पोखर सूखे,गलियाँ सूखीं
और तुम तो
काग़ज़ की कश्ती
ले कर बैठ गई हो

सुब्ह हुई
पति को आफिस जाना है
घर में चीज़ें बिखरीं हैं
चाय अभी तक बनी नहीं
और तुम तो
कविता लिखने बैठ गई हो

सच में
हद्द करती हो
ज़िद्द करती हो
हर काम में तुम भी
दूध उबलता छोड़ के
तुम तो
मेंहदी लगाने बैठ गई हो

पूर्व दिशा से
आज ‘फ़लक’ पर
तेज़ आँधी उठी है
और तुम तो
दिल के मुंडेरों पर
दीप जलाने बैठ गई हो।

 

डॉ जसप्रीत कौर फ़लक
( लुधियाना )

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

2 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *