Udaan

उड़ान | Udaan

उड़ान

( Udaan )

 

कितने जमाने बाद खुला आसमान हैं
ले हौसलों के पंख को भरनी उड़ान है।

देखा हज़ार बार मगर प्यास दीद की
ये कैसी तिश्नगी हमारे दरमियान है।

इस बार इश्क़ में करेंगे फ़ैसला हमीं
है इंतजार दे रहा वो क्या बयान है ।

वो शख़्स रहे यार हमारे क़रीब जब
लगने लगे कि हाथ में सारा जहान है।

सच बोलना गुनाह सुना आज़कल हुआ
मुंह खोलने पे कट रही अब तो ज़ुबान है।

छाई ग़मो की धूप गिरें बिजलियां अगर
है क्या फ़िकर ख़ुदा हमारा सायेबान है

अबके बरस बहार रकीबों से पूछती
क्या है पता नयन का कहां पर मकान है।

 

सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया  ( उत्तर प्रदेश )

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