उम्मीद
उम्मीद

उम्मीद

( Ummeed )

 

 

चले आओ कशक तुममे अगर, थोडी भी बाकी है।

मैं  रस्ता  देखती रहती मगर, उम्मीद आधी   है।

 

बडा मुश्किल सा लगता है,तेरे बिन जीना अब मुझको,

अगर  तुम  ना  मिले  हुंकार तो  ये, जान  जानी  है।

 

बनी  मै  प्रेमिका  किस्मत  में  तेरे,  और  कोई  है।

मै  राधा  बन  गयी पर  रूक्मणि तो, और कोई है।

 

मै काजल बनके आँखो से बही हूँ, आसूंओ के संग,

मगर सिन्दूर  मांथे   पर  लगाये,  और  कोई  है।

 

बताओ  क्या कँरू जीना भी मरना,  लग रहा है अब।

मोहब्बत का दीया हाथों से छिनता, दिख रहा है अब।

 

नजर  दुनिया के तानों  का, बुरा  अन्जाम  लगता है,

चले आओ ना इस दिल का, बुरा अब हाल लगता है।

 

✍?

कवि :  शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

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