उसका जलवा कमाल है अब भी
उसका जलवा कमाल है अब भी
उसका जलवा कमाल है अब भी
वो नही तो मलाल है अब भी
देख उसको यही सदा कहते ।
जान तुझ पर निहाल है अब भी
वो जो उसने कभी नही पूछा
लब पे वो ही सवाल है अब भी
सुर्खी जितनी लगा रही लब पर
सुर्ख उतने तो गाल है अब भी
रूख पे बेशक नकाब हो उसके
हाथ रखता रुमाल है अब भी
तूने देखा नही अभी उसको
लाखो में बेमिसाल है अब भी
मत बुला तू प्रखर सनम अपना
आ गई तो बवाल है अब भी

महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )
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