उठ गये थे वो क़दम जो बेख़ुदी में
उठ गये थे वो क़दम जो बेख़ुदी में
उठ गये थे वो क़दम जो बेख़ुदी में!
चोट खायी प्यार में ही इसलिए है
होश आया तो ये जाना जीवन क्या है
वरना डूबा था मुहब्बत के नशे में
जिंदगी में दुख बहुत देखें ख़ुदाया
चाहता हूँ मैं ख़ुदा ये ही ख़ुशी दें
मुफ़लिसी ने ऐसा घेरा जिंदगी को
बीमारी के ले दवायी वो तो कैसे
प्यार की ख़ुशबू यहां महके हमेशा
नफ़रतों की दूर हो हर दिल से ही बू
माना था जिसको हमेशा अपना मैंनें
कर गया है ग़ैर आज़म को हमेशा