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हार कर हालात से न हार होना चाहिए | Veerta Par Kavita

हार कर हालात से,न हार होना चाहिए

( Haar kar halat se,na haar hona chahiye )

 

हार कर हालात से,न हार होना चाहिए

कंटकों से पथ भरा,स्वीकार होना चाहिए

 

क्या करेगी आंधियां,तुफान भी हो सामने

हौंसिलों का वेग भर,उड़ान होना चाहिए

 

संधर्ष से जीवन भरा,हमको सिखाता है यही

नाकाम गर हो कोशिशें,प्रयास होना चाहिए

 

राह में कंकड़ भले ही,रोकते पथ साधना

लक्ष्य भेदक दृष्टि का, उद्गार होना चाहिए

 

कर्म हीनता का परिचय,न कभी भी सोंचना

यत्र-तत्र सर्वत्र गौरव, गुणगान होना चाहिए

 

कर्म को अपने समझ,न पांव पीछे टालना

न व्यर्थ जीवन हो कहीं,यह ध्यान होना चाहिए

 

मंजिलें हासिल से पहले,विश्वास करना सीख ले

मांगने से कब मिला कुछ, संग्राम होना चाहिए

 

पूर्व मरने से न पहले, स्वर्ग मिलता है कभी

कवि कविता के भाव पर, विचार होना चाहिए।

 

रचनाकार रामबृक्ष बहादुरपुरी

( अम्बेडकरनगर )

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