Vishv Kavita Diwas Par Kavita | विश्व कविता दिवस पर
विश्व कविता दिवस पर
( Vishv Kavita Diwas Par )
कविता
प्रकृति पदार्थ और पुरुषार्थ दिखाती कविता,
जीव को ब्रह्म से आकर के मिलाती कविता।।
शस्त्र सारे जब निष्फल हो जाया करते,
युद्ध में आकर तलवार चलाती कविता।।
पतझड़ों से दबा जीवन जब क्रंदन करता,
हमारे घर में बन बसंत खिल जाती कविता।।
प्रेमियों के दबे अन्तर्मनों की पीर नीर बन करके,
आंख से उमड़कर बादल को झुठलाती कविता।।
नाम सुन करके डर जाता भाग जाता है,
शेष तिमिरान्ध में वह दीप बन जाती कविता।।