Visthapan ka Dard

विस्थापन का दर्द | Visthapan ka Dard

विस्थापन का दर्द

( Visthapan ka Dard )

विस्थापन का दर्द बहुत ही
पीडादेह होता हैं ..
इस पीड़ा को इस यातना को शब्दों में व्यक्त करना बहुत कठिन होता हैं
अपने लोग ..
अपनी जमीन..
अपनें घर की छत…
बसा बसाया संसार..
युद्ध…
आतंक…
भय…
हिंसा…
मृत्यू के डर के भार से बस थोड़ा-बहुत भार कम होता हैं विस्थापन का….
बहुत दर्दनाक और भयावह होता हैं
विस्थापन का अनुभव..
मन …
परीवार..
समाज…
और कभी कभी राष्ट्र से भी हो जाता हैं विस्थापन…
बहुत पीडादेह होता हैं
यह विस्थापन का दर्द….
दर्द….
विस्थापन का…

Shubhangi  Chauhan

चौहान शुभांगी मगनसिंह
लातूर महाराष्ट्र

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