Vyang | इस भीड़ की सच्चाई ( व्यंग्य )
इस भीड़ की सच्चाई ( व्यंग्य )
( Is bheed ki sachai : Vyang )
( Is bheed ki sachai : Vyang )
अबोध ( Abodh ) बहुत अच्छा था बचपन अबोध, नहीं था किसी बात का बोध। जहाॅ॑ तक भी नजर जाती थी, सूझता था सिर्फ आमोद -प्रमोद। निश्छल मन क्या तेरा क्या मेरा, मन लगे सदा जोगी वाला फेरा। हर ग़म मुश्किल से थे अनजान मन में होता खुशियों का डेरा। हर किसी में …
दीप जलाना होगा ( Deep jalana hoga ) बुलंद हौसला बनाना होगा तूफान से टकराना होगा मास्क जरूरी मुंह पर रखना जन-जन को समझाना होगा वक्त के मारे लोग जगत में मदद को हाथ बढ़ाना होगा दुख की गाज गिरी जिन पर ढांढस उन्हें बंधाना होगा मन का भेद मिटाना होगा सेवा…
ईद पर ग़ज़ल ( Eid Par Ghazal ) लिए पैगाम खुशियों का मुबारक ईद आती है। भुलाकर वैर आपस के हमें जीना सिखाती है।। खुदा के है सभी बंदे भले मजहब कोई भी हो। करो दीदार चंदा का दिलों का तम हटाती है।। नहीं कोई पराया है बढ़ाके हाथ तो देखो। गले…
नींद ( Neend ) आंधी आई काले बादल घिर घिर कर आने लगे कहर कोरोना बरस पड़ा खतरों के मेघ मंडराने लगे रह रह कर डर सता रहा आंखों की नींद उड़ाने को यह कैसी लहर चल पड़ी कैसा मंजर दिखाने को सड़कों पर सन्नाटा छाया नींद हराम हुई सबकी…
कलम की आवाज ( Kalam ki aawaj ) ( मेरी कलम की आवाज सर्वश्रेष्ठ अभिनेता दिलीप साहब जी को समर्पित करती हूं ) “संघर्षों से जूझता रहा मगर हार न मानी, करता रहा कोशिश मगर जुबां पर कभी न आई दर्द की कहानी”। कुल्हाड़ी में लकड़ी का दस्ता न होता तो लकड़ी के काटने का…
कलम का जादू चलाओ लिखने वालों कलम उठाओ लो तेरी सख्त जरूरत है बदलनी देश की सूरत है गर रहे अभी मौन सोचो आगे संभालेगा कौन? नवजवानों किसानों आमजन की खातिर लिखो, कुछ दो सुझाव, जो उनके हक की है बताओ , समझाओ। करो रहनुमाई, क्या है इस बदलती आबो-हवा की दवाई? कैसे पटरी पर…