वह प्यार कहां से लाऊं | Wah Pyar Kahan se Laoon
वह प्यार कहां से लाऊं
( Wah pyar kahan se laoon )
जो प्यारा तुमको भी हो,
वह प्यार कहाॅ से लाऊॅ?
तुमको अपना कहने का
अधिकार कहाॅ से लाऊॅ?
तुम मुझसे रूठ गये हो,
मैं कैसे तुम्हें मनाऊॅ?
वह राह तुम्हीं बतला दो,
मैं पास तुम्हारे आऊॅ।
वह मंदिर कौन तुम्हारा,
जिसमें निवास करते हो?
किस आराधन साधन से,
सारा भवदुख हरते हो?
यदि तुम्हीं न हाथ रखोगे,
उपचार कहाॅ से लाऊॅ?
जो प्यारा तुमको भी हो,
वह प्यार कहाॅ से लाऊॅ?
मैं तो हूं दीन अकिंचन,
कुछ भी तो ग्यान नहीं है।
गंतव्य कौन है मेरा,
इसका भी भान नहीं है?
है घना अंधेरा छाया,
नभ में घनघोर घटाएं।
है प्रखर पवन बतलाता,
चलने वाली झंझायें।
अब डूब रही है तरणी,
पतवार कहाॅ से लाऊॅ?
जो प्यारा तुमको भी हो,
वह प्यार कहां से लाऊॅ?
क्या विधि-विधान पूजा का,
कैसे होता है वन्दन?
किस भांति समर्पित होता,
नैवेद्य सुमाला चन्दन?
कुछ भी तो ग्यात नहीं है,
कैसे प्रसन्न तुम होगे?
फिर भी विश्वास लिये हूॅ,
अपना ही मुझको लोगे।
टूटा सितार है मेरा,
स्वर तार कहाॅ से लाऊॅ?
जो प्यारा तुमको भी हो,
वह प्यार कहाॅ से लाऊॅ?
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)