वक्त के सामने सर झुकाना पङा | Waqt shayari
वक्त के सामने सर झुकाना पङा
( Waqt ke samne sar jhukana pana )
वक्त के सामने सर झुकाना पङा।
मूढ के साथ भी है निभाना पङा।।
हो गया है ज़माने में पैसा बङा।
दौर माता- पिता का पुराना पङा।।
मतलबी हो गए आज रिश्ते सभी।
नेह भाई -बहन को गँवाना पङा।।
यारियाँ भी सभी मतलबी सी हुई।
टूट बिखरा हुआ दोस्ताना पङा।।
प्यार घटता गया था दिखावे का जो।
साथ रहते हुए दूर जाना पङा।।
चाहतें मिट गई वो सगे बंधु की।
गुरबतों में समय जब बिताना पङा।।
मार ऐसी ज़माने की दिल पर पङी।
मुस्कुराकर ग़मों को छुपाना पङा।।
लाख कोशिश करी दिल ना बहला “कुमार“।
शायरी से हमें दिल लगाना पङा।।