वो चार लोग थे | Wo Char Log The
वो चार लोग थे
( Wo Char Log The )
झूठों के बादशाह थे मक्कार लोग थे
हमको सही जो कहते थे वो चार लोग थे
इल्ज़ाम झूठा हम पे लगाते थे बेसबब
क़ातिल थे ख़ुद ही और गुनहगार लोग थे
वल्लाह बेज़ुबा थे यूँ मज़लूम भी बड़े
रहते थे बंदिशों में भी लाचार लोग थे
चालें समझते ख़ूब सियासत की यार वो
दुश्मन पे वार करते समझदार लोग थे
रखते थे दर खुला ही ग़रीबों के वास्ते
थी फ़िक़्र उनको सबकी मददगार लोग थे
जिनका तो शायरी में न कोई जवाब था
ग़ालिब से मीर जैसे क़लमकार लोग थे
तन के खड़े ही रहते थे इज़्ज़त के वास्ते
जो हार मानते न थे ख़ुद्दार लोग थे
कवियत्री: मीना भट्ट सिद्धार्थ
( जबलपुर )
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