मैं ग़रीब हूँ

( Main gareeb hoon )

 

पैसे से बहुत मैं ग़रीब हूँ
जहाँ में ऐसा बदनसीब हूँ

मुक़द्दर न ऐसा मिला मुझे
ख़ुशी के न ही मैं क़रीब हूँ

कोई साथ दे सदा जो मेरा
बहुत ढूंढ़ता वो हबीब हूँ

बुरा लोग क्यों चाहते है फ़िर
किसी का न जब मैं रक़ीब हूँ

करें टूटे दिल का इलाज़ जो
बहुत ढूँढ़ा मैं वो तबीब हूँ
.
करें प्यार जो है मुझे आज़म
इतना मैं न ही खुशनसीब हूँ

 

शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )

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