याद आया

याद आया | Yaad Aya

याद आया

( Yaad Aya )

आज वो गुज़रा सफ़र याद आया
साथ हर चलता बशर याद आया

बेच बिरसे को बसे शहरों में
फिर न बेटों को वो घर याद आया

दूर पल में हुए थे ग़म मेरे
गर्दिशों का जो समर याद आया

क़त्ल कर के जो गया हसरत का
संग जैसा वो जिगर याद आया

रोज़ सजदे में झुकाया था कभी
उसकी रहमत पे वो सर याद आया

नफ़रतों की लगी थी आग बडी
मज़हबों को न असर याद आया

दर्द दिल से हूँ पशेमां यारो
क्या करूँ लख़्ते जिगर याद आया

पार हद कर गई मीना गर्मी
हर कटा आज शजर याद आया

Meena Bhatta

कवियत्री: मीना भट्ट सि‌द्धार्थ

( जबलपुर )

यह भी पढ़ें:-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *