कल तक उठा रहे थे जफ़ाओं पे जो सवाल | Zafaon pe Jo Sawal
कल तक उठा रहे थे जफ़ाओं पे जो सवाल!
( Kal tak utha rahe the zafaon pe jo sawal )
कल तक उठा रहे थे,जफ़ाओं पे जो सवाल !
हैं सामने खुद उनकी वफ़ाओं के ही अमाल !!१
इस पर कहीं हैरत जदा, फिर भी नहीं कोई
पहले भी पेश कर चुके हैं वे ये ही मिसाल !!२
खा ना सकी, थे दूर तो, बोली थी लोमड़ी
खट्टे हैं सब अंगूर जो, लटके हैं ऊॅंची डाल !!३
गायक हर इक संगीत की, संध्या का था नाराज
साजिन्दों कीथी लग रही, सुर सेअलग ही ताल !!४
परवाह आखिर क्यों करे वो हार जीत की
जूए के फड़ में काटनी है, जिसको सिर्फ नाल !!५
बनवा चुके हैं मुल्क के,भीतर बहुत से मुल्क
आये हैं करते मुल्क की, मुद्दत से देखभाल !!६
दुनिया ने देखा जीत कर, घर लौट रहा वीर
तलवार ना चलवाई ना ही की प्रयोग ढाल !!७
निश्चित था उनका डूबना, तूफान के चलते
जिनने सफीने के नहीं उतराए अपने पाल !!८
समझी न रसोइया ने सिफत ऑंच की तो फिर
चूल्हा ही बुझ गया उठा बरतन में जब उबाल !!९
आये नतीजे देख कर अब हॅंस रहे हैं लोग
कहते हैं हर धृतराष्ट्र का होता है यही हाल !!१०
मोहरा कोई बिसात पे, चलता भी तो नहीं
घोड़े की तरह ढाई घरों, की उड़ाऊ चाल !!११
कुछ और था बरगद नहीं था, गिर पड़ा वो पेड़
देखें कि अब कैसे बजेंगे, इस पे फूटे गाल !!१२
“आकाश” तो पहले ही, यह सच जान चुका था
है मात शह के साथ ही जब,वक्त की हो चाल !!१३
कवि : मनोहर चौबे “आकाश”
19 / A पावन भूमि ,
शक्ति नगर , जबलपुर .
482 001 ( मध्य प्रदेश )