ज़िन्दगी की बेवफाई | Zindagi ki Bewafai
ज़िन्दगी की बेवफाई
( Zindagi ki Bewafai )
कहां हर वक्त काबू में यहां हालात होते हैं
बड़ी मुश्किल में यारों बारहा दिन रात होते हैं।
कभी जो पास थे दिल के वो लगते अजनबी से हैं
वही रिश्ते मगर क्यों मुख़्तलिफ़ जज़्बात होते हैं।
भुला देता है दिल रंगीनियां रोटी की उलझन में
करे क्या बेतहाशा फ़र्ज़ अख़राजात होते हैं।
पलट कर हर दफ़ा पढ़ने को जी चाहे जिसे ऐसे
किताबें जिंदगी के चंद ही सफहात होते हैं।
पराई औरतों को देखते हैं जो अकीदत से
हैं बेशक कम मगर ऐसे भी कुछ हज़रात होते हैं।
जिसे दिल चाहता हो वो नज़र के सामने भी हो
मुकद्दर में कहां ऐसे हसीं लम्हात होते हैं।
नयन बस एक ही पल में पलटती बाजियां अक्सर
यकायक मात होती हैं यकायक घात होते हैं।
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )
जज़्बात- भावना
मुख़्तलिफ़ – अलग
अख़राजात- ख़र्च
सफहात – पन्ने
अकीदत – सम्मान
हज़रात – आदमी
लम्हात- पल, समय
घात – धोखा