Ghazal

ग़ज़ल | Ghazal par Ghazal

ग़ज़ल

( Ghazal )

 

सिंहासन से हिली ग़ज़ल ।
कल जुलूस में मिली ग़ज़ल ।।

 

पेरोकार गरीबों की ।
जगह-जगह से सिली ग़ज़ल ।।

 

गुमी याद के जंगल में ।
टुकड़ा-टुकड़ा मिली ग़ज़ल ।।

 

घिसते – घिसते ही होगी ।
चमकदार झिलमिली ग़ज़ल ।।

 

उहापोह से जब निकली ।
दिखी फूल सी खिली ग़ज़ल ।।

 

 

✍?

 

लेखक :  डॉ.कौशल किशोर श्रीवास्तव

171 नोनिया करबल, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)

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