मैं औरत हूँ | Kavita main aurat hoon
मैं औरत हूँ
( Main aurat hoon )
मैं औरत हूँ
मैं नारी हूँ
मैं न चाहूँ
मंदिरों में
ग्रंथों में
मैं पूजी जाऊँ
मैं तो बस
इतना चाहूँ
दिलों में
सबके मैं
बस जाऊँ
माधुर्य, ममता की
मूरत कहलाऊँ
धरती समान ‘गर
जननी हूँ तो
उसकी तरह न
मैं रौंधी जाऊँ
सुंदरता की देवी हूँ
तो भोग विलास की
वस्तु न बन कर रह जाऊँ
सिर पर चाहे न
मुझे सजाओ मगर
ठोकर में भी न
रहना मैं चाहूँ
औरत हूँ, नारी हूँ मैं
अबला समझ कर
कमज़ोर न समझना
सब्र संयम की इंतहा की
वक्त पड़ने पर
इम्तिहान से भी
डरना मैं न जानूँ
#Happy Women’s Day…
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )
Bhut khuub