Holi ke chhand

होली | मनहरण घनाक्षरी | Holi ke chhand

होली

( Holi )

 

गोरा गोरा गाल गोरी,
राधा रंग ले आओ जी,
आओ खेलें संग होली,
रंग बरसाइये।

 

फूलों की होली भावन,
मत रंग लगाओ जी,
रंगीलो फागुन आयो,
मस्ती भर गाइये।

 

हंसी-खुशी मस्ती छाई,
होली आज मनाओ जी,
झूम झूम नाचो गाओ,
त्योहार मनाइये।

 

ले पिचकारी रंग की,
मोहन संग आवोजी,
चंग धमाल छा गई,
गुलाल लगाइये।

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कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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