Yaad ghazal

भूल से याद भी नहीं आता | Yaad ghazal

भूल से याद भी नहीं आता

( Bhool se yaad bhi nahi aata )

 

अब मेरे दिल को तू नहीं भाता
भूल  से  याद  भी नहीं आता

 

तू मुझे अब भी प्यार करता है
ये भरम दिल से क्यों नही जाता

 

दूर को दूर से मुहब्बत है
पास का पास से नहीं नाता

 

अब तुम्हे याद भी करूं कैसे
अब मुझे याद कुछ नही आता

 

अब नहीं यार से कोई रिश्ता
प्यार के गीत अब नहीं गाता

 

डाकिया दे गया गमों के ख़त
प्यार के खत कभी नहीं लाता

 

जो कसम तुमने तोड़ डाली थी
वो कसम मैं भी अब नहीं खाता

 

जिस गली में भी हो तेरा साया
उस गली में कभी नहीं जाता

 

वो मेरे पास है मगर फैसल
अपने ही पास क्यों नहीं पाता

 

?

 

शायर: शाह फ़ैसल

( सहारनपुर )

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