तुलसीदास जी | Chhand Tulsidas Ji
तुलसीदास जी
( Tulsidas Ji )
मनहरण घनाक्षरी
तुलसी प्यारे रामजी,
राम की कथा प्यारी थी।
प्यारा राम रूप अति,
रामलीला न्यारी थी।
राम काव्य राम छवि,
नैनों में तुलसीदास।
रामचरितमानस,
राम कृपा भारी थी।
चित्रकूट चले संत,
दर्शन को रघुनाथ।
रामघाट तुलसी ने,
छवि यूं निहारी थी।
राम नाम रत रहे,
घट बसते श्रीराम।
रामकथा तुलसी ने,
काव्य में उतारी थी।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )