आंखे हंस दी दिल रोया | Kavita aankhe hansdi dil roya
आंखे हंस दी दिल रोया
( Aankhe hansdi dil roya )
आंधी तूफां पतझड़ आए मुश्किलों ने डाला डेरा
दर्द दिल में दबाए मचल रहा मन मतवाला मेरा
रख दिया हाथ उसने पूछा प्यारे क्यों खोया खोया
प्यार भरी बातें सुनकर आंखें हंस दी दिल रोया
अनकहे अल्फाज मन के बहुत दिल के राज होते
कह ना सके हम किसी से बस उठे वो साज होते
रख कलेजे पे पत्थर मन की पीर का भार ढोया
भरी महफिल में हमारी आंखें हंस दी दिल रोया
अपनी-अपनी चिंता सबको हमने क्या-क्या खोया
संग सबके खुशी हमारी यही सोच सपना संजोया
टूट गए अरमान हमारे बिखरी माला मोती खोया
सबने अपना रस्ता देखा आंखे हंस दी दिल रोया
वक्त ने करवट बदली दौर बदला बयार बदली
समय के थपेड़े खाकर रुख बदला बहार बदली
ईर्ष्या द्वेष नफरते दिलों में कांटो के जो बीज बोया
पीर सहकर गले मिले हम आंखें हंस दी दिल रोया
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
यह भी पढ़ें :-
कुछ तुम बदलो कुछ हम बदलें | Kavita kuch tum badlo kuchh ham badle