मांँ की याद | Maa ki yaad | Chhand
मांँ की याद
( Maa ki yaad )
जलहरण घनाक्षरी
जब मांँ नहीं होती है,
वो याद बहुत आती।
ममता की मूरत मांँ,
तेरी याद सताती है।
चरणों में स्वर्ग बसा,
हाथ शीश पर रखती।
मीठी यादें लोरियों की,
मन को खूब भाती है।
कितना सुकून होता,
आंचल की छांँव मिले।
मृदुल दुलार मांँ का,
याद बहुत आती है।
डांँट फटकार प्यारी,
झरना स्नेह का बहे।
मां की दुआएं हरती,
पीड़ायें भाग जाती है।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )