Bhojpuri bal kavita kabaddi
Bhojpuri bal kavita kabaddi

” कबड्डी ”

(ल‌इकन के कविता)

 

आव कबड्डी खेली हम,
रेखा के एने ठॆली हम,

दऊड़-दऊड़ के पकड़ी हम,
एने-ओने जकडी हम

शोर मचाई दऊड़ल जाई
उठा पटक हूडदूग मचाई

कबो जियाई कबो मुआई
जिया मुआ के गोल बनाई

माटी में हम खूब लोटाई
कबड्डी-कबड्डी आव चिल्लाई

 

 

कवि उदय शंकर “प्रसाद”
पूर्व सहायक प्रोफेसर (फ्रेंच विभाग), तमिलनाडु

 

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उपरोक्त कविता सुनने के लिए ऊपर के लिंक को क्लिक करे

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