यूँ तो | Yun to kavita
यूँ तो
( Yun to : Hindi poem )
यूं तो अकेले जीने का हौसला रखती हूं,
फिर कभी किसी का साथ क्यों चाहती हूं ।
यूं तो मंजिल अकेले ही तय करनी है मुझे,
फिर क्यों साथ सब के होना चाहती हूं ।
यूं तो अकेली कर ली हूँ खुद को सबसे अलग,
फिर क्यों जुड़ना चाहती हूं कभी सबसे ।
यूं तो अपनी जिंदगी, अपने उसूलों पर जीती हूं,
फिर क्यो कभी कुछ नम्य हो जाती हूं ।
यूं तो न झुकना है, न रुकना है सिद्धांत,
तोफिर किस लिए कभी रुक जाती हूं, झुक जाती हूँ ।।
लेखिका : ईवा ( ए रियल सोल )