पुरुषों | Purushon
पुरुषों
( Purushon )
यूं ही कब तक जलती रहेगी नारी
हवस की इस आग मे पुरुषों
कब तक रहोगे तुम खून को पीते
देह के चीथड़े नोच नोच पुरुषों..
नारी केवल वही नारी नही कुत्तों
जिसे कहते मां ,बहन ,बेटी कुत्तों
नारी वह भी है जो पल रही कहीं
बनने को तुम्हारी बीबी साली कुत्तों..
माना ,रिश्ता नही उसका वंश का
पर ,मानवता को तुम भूल गए क्यों
तुम्ही कलंकित करते माता को भी
नारी है मां जगदम्बा भी भूले क्यों..
बिन बेटी के कोख न होती पूरी
रह जाते अपूर्ण सारे तीरथ व्रत तुम्हारे
ऐसी ही बेटी तो उस घर की भी होती
चढ़ जाती जो बलि हवस तुम्हारे…
शर्म करो, डूब मरो ,चुल्लूभर पानी मे
धिक्कार रही जिंदगी ,तुम्हे भरी जवानी मे
मर मर के भी, ना मौत तुम्हारी होगी
नारी की ज्वाला ही ,पूंजी तुम्हारी होगी…
( मुंबई )
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