मफ़हूम-ए-ज़िन्दगी | Life Shayari in Hindi
मफ़हूम-ए-ज़िन्दगी
( Mafhoom-e-zindagi )
वज़्न २२१२ १२११ २२१२ १२
कुछ उलझनों ने जीस्त मु’अम्मा बना दिया
कुछ दांव पेंच ने हमें जीना सिखा दिया ॥
रद्दी कबाड़ से करें क्यों घर को बेकदर
कुछ ग़ादिरों को साफ़ निकाला भुला दिया ॥
ये रहगुज़र लगी क्यूं हमें अजनबी सी आज
जिन रास्तों से गुफ़्तगू है बारहा किया ॥
एहसान ना करे कोई चाहत का ,सोचकर
जज़्बात कफ़स को कहीं फेका जला दिया ॥
उलझे रहे हयात में ताउम्र बेवजह
खाता,हिसाब क्या लिया किसने है क्या दिया ॥
नेकी से क्या गुनाह किया ,सोंचते है हम
मौके बड़े, न जाने किस लिए गवां दिया ॥
हम ही न थे वाकिफ़ ये हिक़ायत-ए-जिंदगी
मेरी मुझे ही बा यकीं उसने सुना दिया ॥
मफ़हूम-ए-ज़िन्दगी है मुहब्बत या नफ़रतें
जीवन ने चाहतें ही हमारी, अता किया ॥
सुमन सिंह ‘याशी’
वास्को डा गामा,गोवा
शब्द –
मफ़हूम-ए-ज़िन्दगी – जिंदगी का अर्थ
हिक़ायत-ए-जिंदगी– जीवन की कहानी
ग़ादिरों– कृतघ्न, नाशुक्रा, वचन-भंजक, बेवफ़ा, ग़द्दार
मु’अम्मा- पहेली,रहस्य,ऐसी बात जो जल्दी समझ में न आवे
कफ़स- पिजड़ा
जीस्त– जिंदगी
अता किया – प्रदान किया