हत्यारी ठण्ड | Hatyari Thand
हत्यारी ठण्ड
( Hatyari thand )
दिसम्बर की वो सबसे अधिक,
सर्द ओर कोहरे भरी रात थी
हर चेहरे के मध्य ,
सन्नाटा था स्टेशन पर,
कोहरे ओर सन्नाटे के मध्य,
उस काली मोटी भिखारन ने,
खाली चाय के खोखे में,
चिथड़े को बिछाया,
गठरी बने बच्चे को लिटाया,
कुछ ही घण्टो में,
शीतलहर की आरियो ने,
बच्चे को चीर दिया,
औरत का तेज रुदन,
जागे सोए लोगो की सोयी नज़रे,
सतही तौर पर देख रही थी,
कोई कोई सिक्के उछाल देता था,
रोती अकेली औरत,
मुर्दा शिशु को छाती से लगाये,
हत्यारे का कोई सुबूत नही था,
देखा था मैंने,
बच्चे की हत्या ठंड ने की थी,
भूख ने तड़पाया था उसे !
इन्दु सिन्हा”इन्दु”
रतलाम (मध्यप्रदेश)