कही अनकही | Kahi Unkahi
कही अनकही
( Kahi Unkahi )
बीत जाता है वक्त
रह जाती है सिर्फ उनकी यादें
धुंधलाते से चेहरे
और कहीं अनकही बातें
तब होता नहीं महसूस कुछ
प्रेम ,क्रोध या नाराजगी
तड़पाती हैं वे ही बहुत
जब बीत जाता है वक्त
रह जाती है एहसास की बातें
न आता है फिर वह वक्त कभी
न आते हैं जा चुके लोग कभी
रह जाते हैं नासूर बन चुके गिले शिकवे
जब बीत जाता है वक्त
रह जाती हैं पछतावे की बातें
कभी मिलना नहीं होता
अतीत वर्तमान नहीं होता
भविष्य रह जाता है खड़ा अकेला
आंसुओं से भारी पलकों में
जब बीत जाता है वक्त
ढक जाती है धुंध में सारी बातें
रह जाती हैं तो सिर्फ उनकी यादें
धुंधलाते चेहरे
और कहीं अनकही बातें
( मुंबई )