कोई हमको राह बता दे | Koi Humko Rah Bata De
कोई हमको राह बता दे
( Koi Humko Rah Bata De )
कोई हमको राह बता दे, मिल जाए सुख चैन जहां।
खुशियों के पल हमें ढूंढने, जाए तो हम जाएं कहां।
बोलो नदिया पर्वत बोलो, नील गगन के सब तारे।
अपनापन अनमोल खो रहा, रिश्ते टूट रहे सारे।
प्यार भरे दो बोल मीठे, नैनों में वो चमक कहां।
कोई हमको राह बता दे, मिल जाए सुख चैन जहां।
बोलो राहें पलक निगाहें, अंतर मन के पट खोलो।
मर्यादा संस्कार सभ्यता, गुणी विद्वानों सब बोलो।
प्रीत रंग में दीवाना होके, झूम उठे जब सारा जहां।
खुशियों की सौगात ढूंढने, जाए तो हम जाएं कहां।
बोलो दीपक बोलो बाती, घट-घट में उजियारा लाती।
रोशन मन का कोना-कोना, तेरी बातें मन को भाती।
दमक उठे किस्मत के तारे, सपनों का संसार जहां।
कोई हमको राह बता दे, जाए तो हम जाएं कहां।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )