फरेब | Fareb
फरेब
( Fareb )
गहराई मे डूबने से अच्छा है
किनारे ही रह लिया जाय
हालात ठीक नहीं हैं इस दौर के
अब खामोश ही रह लिया जाय
मर सी गई हैं चाहतें दिल की
तलाशते हैं लोग वजह प्यार की
फरेब मे ही लिपटा है शहर सारा
खुद ही खुद मे क्यों न रह लिया जाय
आस्तीनों के भीतर ही खंजर हैं
खुले मैदान दिखते यहाँ बंजर हैं
बादलों की तरह बदलते हैं रिश्ते
समझौतों के साथ रह लिया जाय
परतों में छिपी हुई है सच्चाई
शोर के भीतर है भरी तन्हाई
होठों की मुस्कान तो दिखावा है
अपने ही चादर मे सिमट लिया जाय
उलाहनों के साथ चल रहे हैं लोग
सपनों के साथ जी रहे हैं लोग
तस्वीर की मुस्कान ही बेहतर है
अच्छा है काँच के भीतर रह लिया जाय
( मुंबई )