अब बेटियांँ भी कंधे देने लगी है सच मानो

अब बेटियांँ भी कंधे देने लगी है सच मानो

 

अब बेटियांँ भी कंधे देने लगी है सच मानो
बेटे नहीं हैं तो क्या बेटी को ही छत जानो।

बदलते परिवेश में जीना कोई गुनाह नहीं
बेटियांँ लहू में समाई है सुरक्षा कवच मानो।

जो व्यवस्था महत्व नहीं दे बेटियों को जानों
उसे व्यवस्था के नाम पर बस प्रपंच मानो।

आग पानी घृणा नहीं करते नहीं देते धोखे
जिंदगी पवित्र करती हैं बेटियांँ सच मानो।

Vidyashankar

विद्या शंकर विद्यार्थी
रामगढ़, झारखण्ड

यह भी पढ़ें :-

जब जरूरत पड़े तो तस्वीरें देखिए

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *