आओ मिलकर दीप जलाएं | Poem on Diwali in Hindi
आओ मिल कर दीप जलाएं
( Aao milkar deep jalaye )
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आओ मिलकर दीप जलाएं,
अपने जैसा हर घर चमकाएं।
पुष्पों दीपों से रौशन करें आंगन,
खुशियों से भर दें हर एक दामन।
जलाएं हंसी की फुलझड़ी,
टपके खुशियां घड़ी घड़ी।
ठहाकों की फोड़े पटाखा,
दूर करें जग की निराशा।
कृत्रिम रौशनी और आतिशबाजी से बचें,
स्वयं निरोग और सबको निरोगी रखें।
प्रदूषण जरा न फैलाएं,
वसुंधरा को भी बचाएं।
आने जाने वालों का मुंह मीठा करें,
अंतर्मन में सबके क्रांति सद्भाव की भरें।
उमंग उल्लास से भरे दिखें सब पुलकित,
ना रहे कोई व्यथित;
दिखे हर चेहरा हर्षित।
इस दीवाली कुछ ऐसा कर दिखाएं,
भारत को देख स्वर्ग भी लजा जाए।
सबके मन में ऐसी स्वर्णिम छवि बनाएं,
चहुंओर खुशियां ही खुशियां बिखेर आएं।
आओ मिलकर दीप जलाएं…
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लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार ।
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