ननिहाल

ननिहाल | Kavita Nanihal

ननिहाल

( Nanihal )

नानी का घर ननिहाल,
छुट्टियों में मौज मनाते हैं।
मां के संग में कई दिनों,
हम ननिहाल हो आते हैं।

मामा मामी मौसी मौसी,
लाड दुलार भरपूर करते।
नाना नानी हंस हंस कर,
सिर पर अपने हाथ धरते।

खेलकूद मटरगश्ती का,
अद्भुत ठौर ठिकाना है।
स्कूल की छुट्टियों में हमें,
फिर नानी के घर जाना है।

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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