मैं हिन्दी भाषा हूं | Main Hindi Bhasha Hoon
मैं हिन्दी भाषा हूं
( Main Hindi Bhasha Hoon )
मैं हिन्दी भाषा हूं,राष्ट्र कीआशा हूं।
मैं हिन्दुस्तान की पिपासा हूं।
मुझसे ही है हिन्दुस्तान की आन-बान -शान ।
मुझसे ही है किताबों की जान में जान।
मैं कवियों की कविता का श्रृंगार हूं।
मैं लेखकों की लेख की नैया पार हूं।
मैं गायकों के गीत का मिठास हूं।
दूर रहकर भी मैं सबके पास हूं।
मैं सर्व गुण संपन्न बड़ी सहज,सरल हूं।
मैं हिन्दियों के बल का बल हूं।
हर हिन्दुस्तानी मेरा गुण है गाता ।
समझते हैं सब मुझको अपना भाग्य विधाता।
संस्कृत मेरी जननी, मेरी माता है।
भाषाओं का मुकुट मुझे कहा जाता है।
बावन अक्षरों की लड़ियों से मैं सजती हूं।
कृष्ण जी की बंशी में राधा धून से मैं बजती हूं।
ईश्वर की प्रार्थना का बोल हूं मैं।
भजनों में भक्ति रस का घोल हूं मैं।
मुझसे ही होना था राष्ट्र के सारे काम- काज ।
पहनाए थे मुझे राष्ट्र भाषा के सम्मान का ताज।
मेरी लाज को बचाए रखना सबका है काम।
अंग्रेजी अपनाकर मुझे ना होने देना गुमनाम।
डर तो थोड़ा आज मुझे लग रहा है।
हिन्दी मीडियम से जो आज हर एक दूर भाग रहा है।
जो देश एक दिन विश्व गुरु ही कहा जाता था।
सारे विश्व में अपना एक अलग ही पहचान पाता था।
पहचान को उस हमेशा बनाए रखना मेरे प्यारों।
इसी प्रार्थना के साथ शुभकामनाएं हैं सबके लिए हजारों।
रचयिता – श्रीमती सुमा मण्डल
वार्ड क्रमांक 14 पी व्ही 116
नगर पंचायत पखांजूर
जिला कांकेर छत्तीसगढ़